भारत को जो उचित लगे, वह कदम उठाए — पहलगाम आतंकी हमले पर ब्रिटिश सांसदों का समर्थन
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By Admin
Published - 25 April 2025 20 views
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 24 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक शामिल हैं। इस हमले में 17 अन्य लोग घायल हुए हैं। हमले की जिम्मेदारी कश्मीर रेजिस्टेंस नामक आतंकवादी समूह ने ली है, जिसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा का मोर्चा माना जाता है। यह हमला भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ है।
ब्रिटिश सांसदों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेगा। यूके के विदेश मंत्री ने भी इस हमले को 'अत्यंत निंदनीय' बताते हुए भारत को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को कम कर दिया है, सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है, और पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीजा रद्द कर दिए हैं। भारत ने यह कदम पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों के मद्देनजर उठाया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, और चीनी राजदूत झू फेइहोंग ने इस हमले की निंदा करते हुए भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया है।
भारत सरकार ने इस हमले के दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमले के दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कड़ी सजा दिलवाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेगा।
इस हमले ने कश्मीर में बढ़ते आतंकवादी गतिविधियों और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को समर्थन देने के आरोपों को फिर से उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
भारत और ब्रिटेन के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों को आतंकवाद के खिलाफ साझा खुफिया जानकारी साझा करने, सीमा पार आतंकवाद की निगरानी बढ़ाने, और आतंकवादी संगठनों की वित्तीय नेटवर्क को तोड़ने के लिए संयुक्त प्रयास करने चाहिए।
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