सुधा मूर्ति ने बांधे अपने दमाद ऋषि सुनक की तारीफों के पुल
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By Admin
Published - 20 November 2024 3 views
प्रसिद्ध लेखिका और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने ब्रिटिश के पूर्व पीएम ऋषि सुनक की जमकर तारीफ की है। दरअसल, उन्होंने दीवाली समारोह में ब्रिटिश नागरिक के रूप में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाने के लिए दामाद ऋषि सुनक की प्रशंसा की। उन्होंने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की परवरिश को लेकर भी उनके माता-पिता की तारीफों के पुल बांधे हैं। इस कार्यक्रम में खुद ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मुर्ति भी मौजूद थीं।
क्या बोलीं सुधा मूर्ति?
इस कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात लेखिका सुधा मूर्ति ने कहा, "मैं हमेशा मानती हूं कि जब आप विदेश में होते हैं, तो आपके माता-पिता को दो काम करने चाहिए: एक तो अच्छी शिक्षा, जो आपको बदले में पंख देती है और आप कहीं भी उड़कर बस सकते हैं; दूसरा है बढ़िया संस्कृति, आपकी उत्पत्ति जो भारतीय मूल या जड़ें हैं जो आपको अपने माता-पिता के साथ भारतीय विद्या भवन में मिल सकती हैं।" आगे सुधा मूर्ति ने कहा कि मैं अपनी संबंधी और अच्छी मित्र उषा जी को बधाई देना चाहती हूं, जिन्होंने अपने बेटे पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को भारतीय संस्कृति से जुड़ने का एक बेहतरीन रास्ता दिया, फलस्वरूप वह एक गौरवान्वित ब्रिटिश नागरिक बने और उनमें अच्छे भारतीय सांस्कृतिक मूल्य स्थापित हुए।'
सुधा मूर्ति ने लोगों से की ये अपील
सुधा मूर्ति ने ब्रिटिश भारतीय समुदाय के लोगों से भारतीय विद्या भवन यूके की सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की अपील की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी अभिभावकों को अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति को समझाने के लिए यहां भेजना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप बड़े हो जाते हैं तो अपनी जड़ों में वापस लौटते हैं। भारतीय विद्या भवन उसी कमी को पूरा करता है। इसलिए आपको उन्हें जीवित रखने के लिए हर तरह से मदद करनी चाहिए।
वैदिक मंत्रोच्चार से हुई कार्यक्रम की शुरुआत
इस कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई थी। वहीं, इसमें सांस्कृतिक केंद्र की कई उपलब्धियों पर प्रकाश डालने का काम किया गया था, जो भारतीय कला, संगीत, नृत्य, योग और भाषाओं में उत्कृष्टता का केंद्र माना जाता है। ये केंद्र 23 अलग-अलग विषयों में 120 से अधिक कक्षाएं प्रदान करता है। बता दें कि पूर्व ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति ने 1970 के दशक से केंद्र की कई गतिविधियों के पीछे टीम को एक स्मृति चिन्ह भेंट किए थे।
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