शिवराजसिंह चौहान भाजपा का उदारवादी राष्ट्रीय चेहरा।
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By Admin
Published - 20 December 2023 113 views
मध्यप्रदेश में सोलहवीं विधानसभा के चुनाव सम्पन्न हुए। इस चुनाव में भाजपा ने समस्त अनुमानों को झुठलाते हुए शानदार सफलता अर्जित की है। राज्य में भाजपा ने 163 विधानसभा सीटों पर विजय श्री प्राप्त कर अचंभित कर दिया। प्रदेश में भाजपा को मिली प्रचंड विजय को भाजपा संगठन मोदी मैजिक बता रहा है। चुनाव के पूर्व और अपार सफलता के बाद भी संगठन शिवराजसिंह को नजरंदाज करता प्रतीत हो रहा है, किंतु चुनाव के उपरांत भाजपा को मध्यप्रदेश में मिली अपार सफलता के बाद जनता की नजर में नायक के रूप में अव्वल नंबर पर कोई है तो वह है मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मामा जिनकी जननायक की छवि ने भाजपा के लिए प्रचंड सफलता की इबारत लिखी। सूबे में शिवराजसिंह चौहान सबसे अधिक समय तक मुखिया रहे हैं। उन्होंने अनेकों जनकल्याणकारी योजनाओं को मूर्तरूप देकर जनसामान्य को लाभ पहुंचाने के कार्य किए। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में लाडली बहना योजना शिवराज का मास्टर स्ट्रोक शाबित हुआ। प्रदेश में लाडली बहना योजना का प्रचार–प्रसार करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस योजना के माध्यम से प्रदेश की सवा करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 1250 रु महीना राज्य सरकार द्वारा जमा किया जा रहा है। शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री रहने के दौरान भावुक, और संवेदनशील नजर आते रहते थै। उन्होंने समय–समय पर सख्त रुख भी इख्तियार किया। जो समय की मांग भी मानी जा सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेशभर में दिनरात एक कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया। खुद शिवराज सिंह चौहान ने स्वीकार किया चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें नींद नहीं आती थी। उनकी नायकत्व छवि का ज्वार उस समय चरम पर पहुंच गया जब भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश में अगली पीढ़ी को कमान सौंपने के निर्णय को सर्वोपरि रखते हुए शिवराज मंत्री मंडल के पूर्व शिक्षा मंत्री उज्जैन दक्षिण के वर्तमान विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपने का निर्णय लिया। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं अपितु छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी नवीन चेहरों को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपने का निर्णय लिया। मध्यप्रदेश में आमजनता की नजर में शिवराज सिंह मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थै। शिव के स्थान पर मोहन का चयन करना भाजपा हाईकमान का अंदरूनी निर्णय है। इस निर्णय के पीछे भाजपा संगठन की आगामी रणनीति भी छुपी हो सकती है। इस निर्णय से संगठन को क्या फायदा या नुकसान होगा यह समय के गर्त में छुपा हुआ है। किंतु वर्तमान दौर में साफतौर पर जो दिखाई दे रहा है। वह यह है की शिवराज सिंह चौहान एमपी में मुख्यमंत्री के तौर पर बेहतर कार्य कर रहे थै। प्रदेश की जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर शिवराज के पक्ष में ही अपना जनादेश दिया था। शिवराज का मुख्यमंत्री नहीं बन पाना प्रदेश की जनता को दुखी कर गया लगता है। इस दुख के पीछे शिवराज जनप्रिय छवि, गहरा विश्वास और जनसामान्य जुड़ गया नाता नजर आता है। प्रदेश के मामा, लाडली बहनों के भाई और संवेदनशील मुख्यमंत्री से आमजनता का गहरा रिश्ता बन गया था। प्रदेश की जनता के मन में शिवराज के प्रति गहरा अपनत्व नजर आता दिखाई दे रहा था। यह प्यार और अपनत्व उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान तो था। उनके मुख्यमंत्री नहीं बन पाने के बाद अधिक बढ़ता दिखाई दिया। प्रदेश भर से शिवराज के चाहने वालो के अश्रुयुक्त दुखी चेहरे इस बात की तस्दीक करते दिखाई दे रहे है, उनके दुख का मूल कारण यह है की जनता का यह वास्तविक प्रतिनिधि जिसे वह चाहते हैं, मतदान के रूप में जिसके प्रति विश्वास प्रकट किया गया। भाजपा संगठन की नीति के परिणाम स्वरूप प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बन पाया। बावजूद इसके जनता का प्रेम उनके प्रति अधिक बढ़ता दिखाई दिया। ऐसा प्रदेश के आमजन की भावनाओं को जानने के उपरांत दिखाई दे रहा है। शिवराज को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व क्या जिम्मेदारी सौपेगा। यह आगामी समय में स्पष्ट हो सकेगा। फिलहाल शिवराज के प्रति जो स्नेह, प्यार और विश्वास की लहर दिखाई दे रही है। वह उन्हें देश के बड़े नेता और नायक के रूप में खड़ा करती दिख रही है। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते बनाई योजनाएं, उनका ईमानदारी से क्रियान्वयन उनके कुशल प्रशासक होने का प्रमाण है। उनके बहुत से प्रशंसक उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में भी देख रहे है। शिवराज की अंहकार रहित छवि भी उनके नायकत्व में वृद्धि करती है। साढ़े अठारह बरस निर्विवाद मुख्यमंत्री रहने के बाद एमपी की जनता के दिल में बसे शिवराज की भाजपा हाईकमान ने अपनी नीति के चलते बिदाई जरूर कर दी है। किंतु जनता के दिल से शिवराज की बिदाई करना इतना आसान दिखाई नहीं देता है। उनका अंदाज भी निराला है। जब उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा ’जस की तस रखदिनी चदरिया’ तब वह यहीं कहना चाह रहे थै की जैसी मुझे सत्ता सौंपी गई थी वैसी की वैसी सत्ता वापस कर दी गई है। प्रजातंत्र में जनता का विश्वास उस नेता को ही मिलता है जो जनता की समस्याओं को जानता हो, समस्याओं के उचित निराकरण के उपाय करता हो, जो समाज के शोषित, वंचित, गरीब वर्ग के लिए संवेदनशील हो, जनपेक्षाओं से भलीभांति परिचित हो, अपराधियों के लिए कठोर, आमजन के लिए द्रवित दिखाई देता हो। शिवराज ने समय–समय पर कठोरता का आवरण ओढ़ा किंतु उनके मूल में उदारता हमेशा दिखाई देती रही। उन्होंने मध्यप्रदेश की तस्वीर को संवारा है। प्रदेश को विकासशील से विकसित बनाने की ओर अग्रसर किया है। प्रदेश के विकास में शिवराज के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। वें गंभीर प्रकृति के नेता है। यही कारण है की उनके प्रशसंक उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते है। यह सही भी है। भाजपा में नरेंद्र मोदी के बाद चार–पांच नामो पर चर्चा की जाए तो प्रधानमंत्री के दावेदारों में शिवराज को आसानी से शामिल किया जा सकता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनके सफल कार्यकाल के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान का राष्ट्रीय राजनीति में उचित योगदान तय करेगा। मध्यप्रदेश की जनता को यह आशा करनी चाहिए शिवराज राष्ट्रीय राजनीति में अपने अनुभव का प्रयोग कर देश का नाम रोशन करेंग। राजनीति में आरोप लगाना आसान है। शिवराजसिंह पर भी लगे है। किंतु लंबे वक्त तक प्रदेश का मुखिया बने रहने के बाद भी बेदाग रहना उनकी ईमानदार छवि का उदाहरण है। शिवराज प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान तो जनप्रिय नजर आते ही थै। मुख्यमंत्री पद से सम्मान पूर्वक बिदाई उपरांत भी उनकी छवि अधिक उजली, निखरी और जनप्रिय नजर आ रही है। प्रदेश में उनके मुख्यमंत्री रहते मिला जनता का अपार समर्थन तो यह सिद्ध करता ही प्रतीत हो रहा है। प्रदेश का वर्तमान नेतृत्व शिवराज के जनहितैषी कार्यों को आगे बढ़ाएगा और भाजपा केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश के इस कद्दावर नेता के अनुभव का लाभ लेते हुए उचित भूमिका तय करेगा। वें भाजपा के उदारवादी राष्ट्रीय चेहरे है। उनका राष्ट्रीय राजनीति में अहम योगदान होना चाहिए।
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